क्या मधुमेह से पीड़ित माँ अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा सकती है? | Can a diabetic mother feed her newborn baby?





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क्या टाइप-1 मधुमेह से पीड़ित महिलाएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा सकती है? 
क्या डायबिटीज से स्तनपान के आपूर्ति पर प्रभाव पड़ता है?
डायबिटीज के दौरान स्तनपान करानी से होने वाले फायदे
क्या मधुमेह बीमारी स्तनपान के द्वारा नवजात शिशु में स्थानांतरण हो सकती है क्या?
डायबिटीज के दौरान किन परिस्थितियों में स्तनपान कराना नुकसानदायक पाया जाता है?
क्या डायबिटीज होने पर माँ दूध की क्वालिटी पर प्रभाव पड़ता है?
क्या ब्रेस्टफीडिंग से टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा कम होता है?
स्तनपान से डायबिटीज को कैसे प्रभावित करता है?
स्तनपान के द्वारा जेस्टेशनल डायबिटीज को कैसे प्रभावित करता है?
क्या स्तनपान के दौरान डायबिटीज की दवा लेनी चाहिए?
मधुमेह से पीड़ित माँ के अपने शिशु को स्तनपान कराने से संबंधित टिप्स:


एक नवजात शिशु के लिए उसका जन्म के बाद सबसे पहला मां का दूध ही होता है। मां का दूध नवजात शिशु के लिए अमृत के समान होता है। स्तनपान कराना मां और उनके नवजात शिशु दोनों के लिए ही बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक और लाभदायक माना जाता है, यह नवजात शिशु को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। जिससे कि शिशु को किसी भी संक्रमण से बीमार से रक्षा करता है। लेकिन आज हम बात करेंगे कि जिन माताओं को टाइप-1 डायबिटीज है, वह माताएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा सकती है या नहीं?

जब स्तनपान कराने वाली मां को यह पता चलता है, कि उन्हें डायबिटीज जैसी बीमारी है, तो माताओं के मन में बहुत सारे सवाल आती है। जैसे कि क्या डायबिटीज के दौरान नवजात शिशु को स्तनपान कराना ठीक है या नहीं? क्या नवजात शिशु को स्तनपान कराने से डायबिटीज की बीमारी ट्रांसफर हो सकती है? क्या डायबिटीज के दौरान नवजात शिशु को स्तनपान कराना शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है? ऐसे कई सारे सवाल स्तनपान कराने वाली मां के मन में आती रहती है। खासकर तब जब माँ को डायबिटीज हो।

आइए जानते हैं की डायबिटीज के दौरान नवजात शिशु को स्तनपान कराना चाहिए या नहीं?

क्या टाइप-1 मधुमेह से पीड़ित महिलाएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा सकती है? 

Kya Type-1 Diabetic Mom Feeding Kar Sakti hai?

गर्भावस्था के दौरान ही 14% महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम होता है, लेकिन कुछ महिलाओं में डिलीवरी के बाद भी मधुमेह बीमारी का जोखिम बरकरार रहता है।
 
कई ऐसी धारणाएं है। जिसमें महिलाओं को अपने आस-पड़ोस के लोगों से यह सुनने को मिलता है कि डायबिटीज से ग्रस्त माताओं को अपने नवजात शिशु को स्तनपान नहीं कराना चाहिए। हालांकि की यह असत्य है। 

एक शोध के मुताबिक डॉ. आदित्य हेग्डे जी कहते हैं कि जेस्टेशनल डायबिटीज(Gestational Diabetes) वाली महिलाओं को अपने नवजात शिशु को स्तनपान जरूर कराना चाहिए। क्योंकि इससे नवजात शिशु को रक्त शर्करा का स्तर में नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। साथ ही जो महिलाएं अपनी नवजात शिशु को जेस्टेशनल डायबिटीज रहने पर भी स्तनपान कराती है, उनमें डायबिटीज टाइप-2 की बीमारी का खतरा बहुत कम हो जाता है और आप तो जानते ही हैं, स्तनपान कराना मां और शिशु दोनों के लिए ही फायदेमंद होता है। 

लेकिन एक अध्ययन से पता चलता है कि भारत में नवजात शिशु को जन्म के 6 महीने के भीतर सिर्फ 55 फ़ीसदी नवजात शिशु को ही मां का दूध मिलता है।


क्या डायबिटीज से स्तनपान के आपूर्ति पर प्रभाव पड़ता है?

डायबिटीज होने पर माताओं कि स्तनपान में दूध की आपूर्ति का कम होना संभव है। ऐसा होने का मुख्य कारण है, शरीर में ज्यादा इंसुलिन की मात्रा। जिससे कि स्तन के दूध के उत्पादन में कमी आ जाती है। डायबिटीज के दौरान महिलाओं में स्तनपान की मात्रा कम होना। बच्चे के लिए पर्याप्त नहीं होता है। 

हालांकि, यह कुछ ही दिनों के लिए होता है और फिर डायबिटीज नियंत्रण होने पर धीरे-धीरे स्तनपान की मात्रा सामान्य होने लगती है।


डायबिटीज के दौरान स्तनपान करानी से होने वाले फायदे

माताओं  के लिए फायदे:
यहां डायबिटीज होने पर स्तनपान कराने के दौरान माताओं को होने वाले फायदे के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी गई है।

  1. गर्भावस्था के दौरान बढ़ा वजन और ओबेसिटी यानी मोटापे स्तनपान कराने से कम होने लगते हैं। हालांकि कुछ शोध में पाया गया है, कि इनके कुछ विपरीत भी परिणाम आते हैं। उन महिलाओं का हर 6 महीने में लगभग 1% ओबेसिटी कम हो जाता है।
  2. कुछ डॉक्टर के द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया, कि शिशु में डायबिटीज होने का जोखिम की संभावना जन्म के बाद मां के शरीर में होने वाले बदलाव के कारण आंशिक रूप से आती है, क्योंकि माताओं के शरीर में बहुत सारे नर्व्ज सेंटर उत्पन्न होने लगते हैं, जो कि मेटाबॉलिज्म में बदल जाता है।
  3. ऐसा माना जाता है, कि ओबेसिटी का खतरा कम होने के साथ-साथ स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दिल से संबंधित समस्या और डायबिटीज टाइप 2 होने की भी समस्या लगभग कम ही हो जाती है। 
  4.  डॉक्टर कहते हैं कि यह तब तक बढ़ता है, जब तक कि माँ स्तनपान कराने का निर्णय ना ले ले। एक स्टडीज के अनुसार गर्भावस्था के बाद जो मां स्तनपान कराती है, उन माताओं को डायबिटीज नहीं होती है। और उनमें आने वाले कुछ बीमारी या समस्या भी 50% तक खत्म हो जाती है। वही जिस भी माताओं को जेस्टेशनल डायबिटीज रहती है, उनमें भी 75% तक यह समस्या कम हो जाती है। और स्तनपान कराने से यह पूरी तरह खत्म हो जाती है
  5. स्तनपान कराने से माताओं को शारीरिक तौर पर बहुत सारे फायदे होते हैं और भविष्य में भी ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस जैसी समस्या नहीं होती। 
  6. इसके साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भाशय या ब्रेस्ट कैंसर या ओवरी कैंसर नहीं होता है। स्तनपान कराने से इस तरह की समस्या कम हो जाती है।
  7. बच्चे के डिलीवरी के दौरान माताओं को बहुत तरह की समस्याएं आती है। जो कि स्तनपान के द्वारा बहुत सारी समस्या राहत मिल जाती है। स्तनपान के दौरान बहुत सारी एनर्जी ऊर्जा खर्च होती है, मगर इससे ऑक्सीटॉसिन उत्तेजित होने लगता है, जो कि एक अच्छा हार्मोन है। वह माताओं को कभी भी थकावट महसूस होने नहीं देता। ऐसा होने से माताओं को भावनात्मक रूप से बहुत अच्छा लगने लगता है। स्तनपान कराने से माताओं के खून में शुगर के स्तर भी कम होने लगते हैं। जो कि महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज में बहुत फायदेमंद होता है।

बच्चे के लिए स्तनपान कराने के फायदे: 

  1. यदि मां को डायबिटीज है उसके बाद भी अगर नवजात शिशु को स्तनपान कर रहा हो तो कौन कौन से फायदे होते हैं।
  2. नवजात शिशु के लिए स्तनपान ही एकमात्र पोषण का स्रोत होता है। नवजात शिशु 6 महीने तक सिर्फ स्तनपान ही करता है। स्तनपान में बहुत सारी एंटीबॉडीज पाए जाते हैं। जो कि शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। जिससे कई तरह के संक्रमण होने पर भी शिशु को कोई परेशानी नहीं होती हैं। यदि एक डायबिटीक माँ अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा रही होती है, तो भी नवजात शिशु को कई तरह के फायदे होते हैं। जैसे कि शिशु के रेस्पिरेटरी सिस्टम में इन्फेक्शन, ब्लड प्रेशर की वजह से हाइपरटेंशन, अस्थमा, विभिन्न प्रकार की एलर्जी और यहां तक कि डायबिटीज होने का खतरा भी कम हो जाता है।
  3. जेस्टेशनल डायबिटीज होने के बावजूद जो माताएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराती है। उन पर किए गए एक शोध में पाया गया कि नवजात शिशुओं को ओबेसिटी का खतरा कम हो जाता है। ऐसा पाया गया कि इस दौरान स्तनपान करने से कोई भी प्रभावी खतरा नहीं होता है। और माताएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा सकती है।
  4. कई माताओं के मन में यह संख्या होती है, कि जेस्टेशनल डायबिटीज के दौरान स्तनपान नहीं कराना चाहिए। लेकिन एक शोध के अनुसार फार्मूला दूध से शिशु का वजन अधिक बड़ा और स्तनपान के दौरान शिशु को कोई भी मोटापा नहीं हुआ। साथ ही कोई भी अन्य बीमारी का भी खतरा नहीं हुआ। चुकी शिशु बोतल के द्वारा फार्मूला दूध पीता था। इसलिए शिशु ने अधिक मात्रा में दूध लेना शुरू कर दिया। जो कि शिशु के स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने में मुख्य कारण रहा और स्तनपान करने के दौरान नवजात शिशु एक सीमित मात्रा में ही स्तनपान करता है।
  5. नई माता पिता के मन में अपने नवजात शिशु की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। इसलिए आज हम इस लेख में स्तनपान कराने वाली माताओं को अगर डायबिटीज हो तो क्या करना चाहिए और डायबिटीज के दौरान स्तनपान कराने से कौन-कौन से फायदे भी होते हैं इसके बारे में जानकारी दी गई है।
  6. डायबिटीज के दौरान स्तनपान कराने से माताओं को भी बहुत सारे फायदे व्यक्तिगत तौर पर होते हैं। जैसे कि जब माताएं स्तनपान कराती हैं। तो स्तनपान के द्वारा माताओं के शरीर से 500 कैलोरी बंद हो जाती है। जोकि गर्भावस्था के दौरान बड़े हुए शरीर को बैलेंस करने में मदद करती है। इससे स्तनपान कराने वाली माताओं को वजन कम करने के लिए कोई अन्य डाइट करने की जरूरत नहीं पड़ती।
  7. स्तनपान कराने से डायबिटिक माताओं को 10 अद्भुत तरह के फायदे होते हैं। जिसमें की एक शोध के द्वारा पता चलता है कि जिन माताओं ने डायबिटीज होने पर भी स्तनपान कराया, उनका ब्लड शुगर लेवल कम होने लगता है। और इंसुलिन की कम मात्रा की अब जरूरत पड़ने लगती है।
  8. यदि मां अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा रही है तो जरूरी नहीं है कि उन्हें नुकसान पहुंचे। स्तनपान कराने से मां और बच्चे दोनों को बहुत फायदा होता है। बच्चे को डायबिटीज ट्रांसफर होने का खतरा इस बात पर निर्भर करता है कि स्तनपान कराने वाली मां कितने लंबे समय तक अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराती है।
  9. वैज्ञानिक द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि 2 महीने के अंतराल तक स्तनपान कराने वाली माताओं को डायबिटीज होने का खतरा 50% तक कम हो गया। और 5 महीने से अधिक तक स्तनपान कराने वाली माताओं को डायबिटीज होने का खतरा लगभग खत्म ही हो जाता है। इसकी मुख्य वजह स्तनपान कराना ही होता है।

क्या मधुमेह बीमारी स्तनपान के द्वारा नवजात शिशु में स्थानांतरण हो सकती है क्या?

नवजात शिशु के लिए स्तनपान एक अमृत के समान होता है। स्तनपान कराने से नवजात शिशु को रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है। और नवजात शिशु को सभी बीमारियों से लड़ने में यह रोग प्रतिरोधक क्षमता हमेशा मदद करती है।

वैज्ञानिक के अनुसार स्तनपान से भविष्य में बच्चों को कभी भी मधुमेह होने का खतरा नहीं रहता। स्तनपान कभी भी नवजात शिशु के लिए जोखिम नहीं होता है और यह किसी भी संक्रमण से नवजात शिशु की हमेशा मदद करता है।

डायबिटीज के दौरान किन परिस्थितियों में स्तनपान कराना नुकसानदायक पाया जाता है?

यदि स्तनपान कराने वाली मां को टाइप वन डायबिटीज है, तो इससे नवजात शिशु को कोई खतरा नहीं होता है। लेकिन यदि मां को टाइप टू डायबिटीज है, तो इस परिस्थिति में नवजात शिशु को स्तनपान कराना नुकसानदायक होता है। 

टाइप-२ डायबिटीज वाली मां का शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है और इसके साथ ही शरीर इंसुलिन का विरोध भी करना शुरू कर देता है। इस कारण मां के शरीर में शुगर लेवल बढ़ना शुरू हो जाता है और यह कई तरह की बीमारियों को बढ़ाता है। जैसे कि स्तनपान कराने से नवजात शिशु की मां को कभी दिल से जुड़ी कोई भी बीमारी नहीं होती हैं, साथ ही मोटापा, डायबिटीज, अर्थराइटिस, ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर, यूटरिन कैंसर, ऑस्टियोपोरोसिस और किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा कभी नहीं रहता।


क्या डायबिटीज होने पर माँ दूध की गुण पर प्रभाव पड़ता है?

डायबिटीज होने पर दूध की गुण में ग्लूकोस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दूध की गुण खून में मौजूद शुगर के लेवल पर भी निर्भर करती है। यदि खून में मौजूद शुगर लेवल सही नहीं है, तो दूध की विशिष्टता पर असर पड़ता है। 
इसलिए खून में शुगर लेवल को बनाए रखने के लिए सही तरीकों का उपयोग करना चाहिए। और इसकी मात्रा पर पर्याप्त रखना भी आवश्यक है। जिससे कि स्तनपान के दूध की क्वालिटी पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। और आपके नवजात शिशु को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान तो मिलेगा ही साथ ही स्तनपान की क्वालिटी पर भी अच्छी मिलेगी।


क्या ब्रेस्टफीडिंग से टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा कम होता है?

यदि आपको टाइप-1 डायबिटीज है। और आप स्तनपान करा रही हैं, तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए ही फायदेमंद होता है। एक रिसर्च के अनुसार स्तनपान कराने वाली माताओं में टाइप-2 डायबिटीज के होने का खतरा कम हो जाता है।

ऐसा माना जाता है, कि लगभग 15% तक टाइप-2 डायबिटीज स्तनपान कराने के दौरान खत्म हो जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि अंतिम बच्चे को आपने स्तनपान कराया है, तो आपको लगभग 15 सालों तक टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा नहीं रहता है। बच्चे में भी टाइप टू डायबिटीज ट्रांसफर होने का खतरा 40% तक कम हो जाता है।

वैज्ञानिक कहते हैं, जो बच्चे स्तनपान करते हैं उन बच्चों को मोटापा की समस्या कभी नहीं होती है।

स्तनपान से डायबिटीज को कैसे प्रभावित करता है?

कई बार पाया गया है, कि महिलाएं डायबिटीज होने के बाद अपने नवजात शिशु को लगातार दूध पिलाना शुरू कर देती है। यह सभी चीजों पर ध्यान देना बहुत ही आवश्यक है। 
हालांकि, स्तनपान कराने से शुगर लेवल कम होता है। मगर इससे आप ज्यादा इंसुलिन लेना शुरू कर देंगे। और इन्सुलिन लेवल ज्यादा एक कम ना होने दें। इससे मां के शरीर पर प्रभाव पड़ता है। 

डॉक्टर कहते हैं, कि जब भी आप स्तनपान करा रही होती है, तो आप स्तनपान के दौरान ही कुछ न कुछ स्नैक्स खाती रहें।
स्तनपान के दौरान मां के शरीर में बहुत सारे कैलोरीज का बनना बंद होना, माताओं के लिए बहुत ही मददगार साबित होता है। और स्तनपान कराने से खून में शुगर का भी कम होना पाया जाता है, इसलिए आपको प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर न्यूट्रिशस डायट भी आपको लेना चाहिए।
इससे आप को स्तनपान कराने के दौरान आपके शरीर को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिलता रहेगा। कम शुगर लेवल से बीमार होने पर एक बड़ा खतरा होता है। जब नवजात शिशु विकास कर रहे होते हैं। 
शिशु को विकास के दौरान ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पोषक की जरूरत होती है। इसलिए शिशु ज्यादा से ज्यादा मात्रा में दूध या स्तनपान करना शुरू कर देते हैं। इसलिए आप को ध्यान देना चाहिए। और देखभाल करनी चाहिए कि आपका खून में शुगर लेवल कम ना हो, खाना की बहुत बार इंसुलिन की डोज कम या ज्यादा करने पर भी ऐसा होता है।

स्तनपान के द्वारा गर्भावधि मधुमेह को कैसे प्रभावित करता है?

गर्भावस्था में महिलाओं में गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes) अक्सर फॉर्म में शुगर का लेवल बढ़ने के कारण होता है। और गर्भावस्था के दौरान लगभग 10% महिलाओं में हारमोंस का बदलाव शुगर का बढ़ने का कारण होता है। और यही कारण है कि माताओं को डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। और कभी कभी इंसुलिन काफी मात्रा ठीक नहीं रहने पर भी डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। 
एक शोध के अनुसार पाया गया कि जो मां अपनी नवजात शिशु को स्तनपान कराती रही, उनका गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes) अपने आप ठीक हो गया। वैसे डायबिटीज एक बार में कभी भी खत्म नहीं होती शुगर लेवल कम करने में समय लगता है। हालांकि शरीर में मौजूद शुगर लेवल बच्चे के लिए बहुत ही उपयोगी होता है। और स्तनपान कराने के दौरान यह महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है। और यदि शरीर में शुगर लेवल कम है, तो यह स्तनपान के द्वारा शिशु के शरीर मे पहुंचाने में मदद करता है।
और ऐसा करने से ही भविष्य में नवजात शिशु को ओबीसीटी होने का खतरा भी कम हो जाता है। इसके अलावा डॉक्टर कहते हैं, कि स्तनपान कराने से माताओं के शरीर से बहुत सारे कैलोरी बर्न होने लगती है। जो कि माताओं के वजन को पर्याप्त बनाने में बहुत ही मददगार होता है। और यह डायबिटीज के खतरे को भी कम कर देता है।

क्या स्तनपान के दौरान डायबिटीज की दवा लेनी चाहिए?

यदि आप स्तनपान कराने वाली मां है तो आपको कोई भी दवा लेने से पहले अपने बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क जरूर करना चाहिए। और आपके बाल रोग विशेषज्ञ आपको सही से गाइड करेंगे। 
हालांकि, स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए बनी डायबिटीज की दवा अलग से लेनी जरूरी होती है। इससे मां के शरीर में इंसुलिन की सही डोज जैसे मेटफॉर्मिन दी जाती है। यह सारी दवाई मां के शरीर में शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में कार्य करती है। जो कि स्तनपान के दूध को बढ़ाने और उसके क्वालिटी को बढ़ाने में मदद करता है। और इससे नवजात शिशु को कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। 
यदि आपके बाल रोग विशेषज्ञ किसी दवा के बारे में बोलते हैं, तो आप उसे लेने में चिंता ना करें बेशक डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या किसी भी मां को चिंतित कर देती है। पर यह अच्छी बात है कि स्तनपान कराने से इस समस्या में नियंत्रित होने में बहुत मदद मिलती है इसलिए आप अपने चिकित्सक या बाल रोग विशेषज्ञ से प्रॉपर गाइड जरूर ले।


मधुमेह से पीड़ित माँ के अपने शिशु को स्तनपान कराने से संबंधित टिप्स:

यदि आपको जेस्टेशनल डायबिटीज हो या टाइप वन डायबिटीज हो आपको कुछ निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

  1. स्तनपान कराते कराते माताओं के शरीर में ग्लूकोज का लेवल कम होने लगता है। इसलिए आपको जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी अपने शरीर का ग्लूकोस लेवल को बढ़ानी चाहिए। इससे आपके नवजात शिशु को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान की आपूर्ति हो सकेगी।
  2. अपने शरीर में ग्लूकोज की मात्रा का लेवल सामान रखने के लिए आप स्तनपान कराते समय कुछ स्नैक्स खाते रहें। इस बात का ध्यान रखें कि आपके स्नेक्स में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन मौजूद हो।
  3. स्तनपान कराना मां और नवजात शिशु दोनों के लिए शारीरिक और मेटाबॉलिक एक्टिविटी है। इस दौरान मां और बच्चे दोनों की ही एनर्जी लगती है। स्तनपान कराने में पूरे दिन का 400 से 600 की कैलोरी कम होती है। इसे बढ़ाने के लिए आप प्रॉपर डायट का पालन करें।
  4. बहुत से माताओं को डिलीवरी के बाद स्तनपान कराने में बहुत सारी समस्याएं आती है। अन्य की तुलना में डायबिटीज से ग्रसित माताओं को ज्यादा ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी स्तन में दूध थोड़ी देर में आता है। एक या दो से 14 दिन के बाद स्तन में दूध आती है। ऐसे मामले में आप बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर फार्मूला दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  5. यदि आप अपने नवजात शिशु को स्तन में दूध ना आने के कारण स्तनपान नहीं करा पा रही है, तो आपको अपने स्तन को उत्तेजित करते रहना होगा। इससे आपके शरीर का प्रोसेस शुरू होगा। जिससे कि दूध आपके स्तन में आने लगेगा। यदि आप अपने नवजात शिशु को ऐसे में फीडिंग सेशन नहीं करा पाती है। तो आप फिर सेशन के समय दूध पंप की मदद से अपना स्तन से दूध निकालने की कोशिश करें और फिर किसी अपने नवजात शिशु को भूख लगने पर उसे पिलाएं।
  6. डॉक्टर माताओं को अपने नवजात शिशु से त्वचा से संपर्क बनाए रखने की सलाह देती है। इससे आपके नवजात शिशु सुरक्षित महसूस करता है। इसके साथ ही आपका शरीर मातृत्व के चरण का अनुभव करता है। जो कि आंतरिक प्रोसेस को भी प्रभावित करता है। इससे आपके शरीर में स्तन में दूध की उत्पादन शुरू होने लगता है।
  7. यदि डिलीवरी के तुरंत बाद बहुत जल्दी आपको दूध आने लगता है। तो बिना किसी देरी किए अपने नवजात शिशु को अपना स्तनपान कराना चाहिए।
  8. आप नियमित रूप से अपने शरीर के ब्लड में शुगर की लेवल की जांच करते रहें। इस बात पर हमेशा आपको ध्यान रखना है, कि आप के खून में शुगर लेवल इन्सुलिन लेवल के अनुसार सही मात्रा में हो और जो कि ब्रेस्ट फीडिंग शुरू होने के बाद कम ज्यादा हो सकता है।
  9. आप स्तनपान के दौरान नियमित डाइट में कैल्शियम की मात्रा या सप्लीमेंट शामिल कर सकते हैं। कैल्शियम की जरूरत आपके नवजात शिशु को विकास करने में मदद करती है। जो कि स्तनपान के द्वारा आपके नवजात शिशु को पहुंचती है।
  10. यदि आप अपने स्तन की सही से देखभाल नहीं करेंगे। तो खासकर डायबिटीज से ग्रसित माताओं को मैस्टाइटिस या थ्रश जैसी बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हमेशा आपको अपने स्तन का ख्याल रखना है। जिसमें की आप का शिशु आपके निप्पल को अच्छे से लैच करें और अधिक से अधिक स्तनपान करें। आप चाहे तो दूध पंप का इस्तेमाल करके भी दूध को निकालकर स्टोर कर सकते हैं।
  11. स्तनपान कराने वाली माताओं को कभी भी इस स्ट्रेस, या किसी प्रकार की चिंता नहीं करनी चाहिए। आपको हमेशा अपने नवजात शिशु के साथ स्तनपान कराने के दौरान आनंद और आराम का अनुभव का करना चाहिए।
आपने इस लेख में जाना की क्या मधुमेह से पीड़ित माँ  नवजात शिशु को स्तनपान करा सकती है या नही? और साथ ही मधुमेह से पीड़ित माँ आने वाली अन्य सभी प्रश्न के उत्तर को भी बेबी केयर टिप्स की टीम ने इस लेख में शामिल किया है। आप अपनी सुझाव और अनुभव को नीचे कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।  

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